सुबह सुबह सहारनपुर की जानी-पहचानी गलियों से अपनी से गाड़ी साथियो को साथ लिया और चल दिय पहाड़ो की ओर। मन में उमंग लिए साथियो से हसीं ठिठोली करते हुए. पहाड़ो रास्ते में मैदानी गर्मी और घुटन-उमस को पीछे छोड़कर कर अभी हरिद्वार पहुंचे ही थे कि मौसम ने करवट बदल ली. हवा अपनी ठंड और ताजगी से सबके मन को मोहने लगी थी। एक ही पल में सबकी थकान को मिटा दिया। कुछ देर आराम करने और गंगा जी को नमन कर अब आगे की राह पकड़ ली। रस्ते में हरे भरे पहाड़ जो अपनी विशालता से हर किसी को हैरान कर रहे है. घुमावदार सड़के जैसे किसी नागिन तरह पहाड़ो पर बल खा रही थी. आगे चलते पहाड़ों की संख्या जैसे जैसे और बढ़ती जा रही थी ऐसा लड़ रहा है जैसे वे हमें चारो और से घेरने लगे हो.
हर मोड़ पर एक नया नजारा सामने आ जाता था. हम जैसे जैसे आगे बढ़ते गए. बादलों के नजदीक आते चले गए. पहाड़ो की चोटिया मन को मोहने लगी थी, पहाड़ों पर तो अक्सर मै आता ही था. लेकिन इस बार का अनुभव कुछ अलग था जैसे-जैसे हम ऊंचाई पर पहुंच रहे थे बादलों की ठंडी ठंडी फवारे मन को छूने लगी. ऐसा लगा मानो खुद ने बादलों की एक चादर ओढ़े हुए हो और फिर एक पल ऐसा आया जब बादल जमीन पर उतर आए। गाड़ी की खिड़की से बाहर देखा तो चारों तरफ दूधिया सफेदी थी. बादल इतने करीब थे कि उन्हें छूने छू सकने का भ्रम हो रहा था पूरा रास्ता बादलों से घिरा हुआ था.हम उनके बीच होते हुए आगे बढ़ रहे थे यह किसी सपने से कम नहीं था ऐसा लगा जैसे हम जमीन पर ही बल्कि बादलों के किसी शहर में पहुंच गए हो।
बीच-बीच में छोटे-छोटे शांत गांव से गुजरते हुए वहां की सादगी और शांत जीवन शैली ने दिल को छू लिया लकड़ी के बने छोटे घर धुआं देती चिमनी और खेतों में काम करते सीधे-साधे लोग यह सब शहरी चकाचौंचे कोसों दूर एक अलग ही दुनिया थी.यहां आकर महसूस हुआ कि असली सकुन तो यही पर है.किसी बड़े शहरों की भीड़ में नहीं। बल्कि प्रकृति की इस शांत गोद मिलता है.
बादलों के बीच होते हुए यह सफर ने केवल आंखों को सुकून दे रहा था बल्कि अंतरात्मा को भी एक अलग तरह की शांति दे रहा था. पहाड़ों की ऊंचाइयों पर बादलों से जादू को देखना उसे ईश्वर को नजदीक से महसूस करना।पहाड़ों में घूमते हुए मुझे वहां की स्थानीय संस्कृति को करीब से देखने का मौका मिला लोग बेहद सरल और मेहनती मेहमानवाजी है. हमने वहां के पारंपरिक भोजन का भी स्वाद लिया इसमें मंडवे की रोटी कांगड़ी का साग और खीर थी. यह सुनकर शायद आपको कुछ अलग लगे लेकिन स्वाद में यह बहुत ही लाजवाब थे और एकदम ताजा पौष्टिक आहार जीवन का आनंद ही आ गया.
पहाड़ों में बिताए दो दिनों ने मुझे सच में तरोताजा कर दिया सुबह पहाड़ों से निकलती सूरज की पहली किरणें देखना चिड़ियों की चहचहाहट सुनना और शाम को शांत पहाड़ों के पास बैठकर सूर्यास्त का आनंद लेना यह सब अनुभव है यहां की हवा में एक अलग प्रकार की ताजगी और प्रकृति से जुड़ाव मेरा और भी गहरा हो गया।